बेसल मानक (Basal Standard) एक अंतर्राष्ट्रीय मानक है जिससे वैश्विक स्तर पर बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थाओं को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देने के लिए शुरू किया गया था|
1980 में स्विट्जरलैंड के शहर बेसल से शुरू किया गया था| इसलिए इसका नाम बेसल मानक रखा गया है|
आइए विस्तार से जानते हैं क्या है बेसल मानक- What is Basal Standard
बेसल मानक क्या है?
असल में स्विट्जरलैंड के शहर बेसल में बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटेलमेंट्स (BIS : Bank for International Settlements) का मुख्यालय भी है| BIS केंद्रीय बैंकों के बीच वित्तीय स्थिरता के समान अलग और बैंकिंग नियमों के आम मानकों के साथ सहयोग को बढ़ावा देता है|
यह दुनिया का सबसे पुराना वित्तीय संगठन संगठन है जो 17 मई 1930 को स्थापित किया गया था| वर्ष 1974 में G-10 देशों द्वारा बैंकिंग पर्यवेक्षण के लिए ‘बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटेलमेंट्स’ के तत्वावधान में ‘बेसल समिति’ का गठन किया गया था।
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1980 में BCBS द्वारा मापदण्ड तैयार किये गये जो मुख्य रूप से बैंकों और वित्तीय प्रणाली के जोखिम पर केंद्रित थे उन सेट को बेसल समझौता/बेसल मानक-1 (Basal Standard) कहा गया|
इन समझौतों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था के दायित्वों को पूरा करने और अप्रत्याशित नुकसान को अवशोषित करने के लिए वित्तीय संस्थानों के अकाउंट में पर्याप्त पूंजी है या नहीं भारत में भी बैंकिंग प्रणाली के लिए बेसल समझौता/बेसल मानक (Basal Standard) को स्वीकार कर लिया |
अब तक मुख्य रूप से तीन बेसल समझौते अब तक अस्तित्व में आ चुके हैं:
- (1980) बेसल मानक-1 मुख्य रूप से बैंकों और वित्तीय प्रणाली के जोखिम पर केंद्रित|
- (2004) बेसल मानक-2 इसका मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय जोखिमों से निपटने का था|
- (2010) बेसल मानक-3 यह बैंकों की पूंजी पर्याप्तता अनुपात का नया अंतर्राष्ट्रीय मानक है। इसके अंतर्गत जोखिम कम करने के लिए बैंकों को ज्यादा पूंजी रखनी होगी।
बासेल III उपायों का उद्देश्य है–
- वित्तीय और आर्थिक अस्थिरता से पैदा हुए उतार– चढ़ाव से निपटने में बैंकिंग क्षेत्र की क्षमता में सुधार लाना।
- जोखिम प्रबंधन क्षमता और बैंकिंग क्षेत्र के प्रशासन में सुधार लाना।
- बैंक की पारदर्शिता एवं खुलासे को मजबूत बनाना|
- वित्तीय क्षेत्र विधायी सुधार आयोग (एफएसएलआरसी) की गैर-विधायी सिफारिशों का कार्यान्वयन|
- निवेशकों को वित्तीय परिसंपत्तियों की समस्त श्रेणियों का एक सिंगल व्यू उपलब्ध कराने के लिए एक रिपोजिटरी स्थापित करने का मुद्दा|
- बासेल-III विनियमों और पर्यवेक्षीय पूँजीगत अपेक्षाओं को मद्देनजर रखते हुए अगले पाँच वर्षों में बैंकिंग क्षेत्र की पूंजीगत आवश्यकताएँ सुझाने के उपाय|
- साथ ही, इसमें वित्तीय क्षेत्र के लिए एक कारगर समाधान तंत्र स्थापित करने के उपायों पर भी विचार किया|
भारत में बेसल मानक का अनुपालन पूरी प्रतिबद्धता के साथ किया जा रहा है| भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के तहत भारत में कार्यरत सभी बैंकों में बेसल मानकों का अनुपालन कर लिया है|
बासेल-III तृतीय मानक भारत में 2013 से लागू कर दिया गया है| जो 2018 तक पूर्ण रूप से लागू हो जाएगा बेसल मानक के अनुसार भारत सरकार ने बैंकों के पूंजी आधार में वृद्धि हेतु समय-समय पर वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना भी प्रारंभ कर दिया है|
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