बैंंक यानि पैसे के लेन-देन का सबसे आसान और भरोसेमंद तरीका है अगर हमें पैसे निकालने या जमा करने हों तो सबसे पहले हमें बैंक की याद आती है क्योंकि आपसी लेन-देन से अधिक सुरक्षित लोग बैकों के लेनदेन को मानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब बैंंक नहीं थी तब पैसे का लेन-देन कैसे और कौन करता था और बैंक अस्तित्व में कैसे आयी
उस समय भारत में जो लोग पैसे का लेन-देन करते थे वो धनवान होते थे या वो लोग होते थे जो बाहर शहरों में जाकर व्यापार करते थे लोग उन्हें साहूकार कहते थे, साहूकार लोगों को पैसे उधार दिया करते थे और मनमाने ढंंग से लोगों से ब्याज वसूलते थे, लोगों को पैसे की काफी जरूरत होने की वजह से उन्हें साहूकारों से पैसे उधार लेने पडते थे, कुछ धनवान लोगों ने अपने प्राइवेट बैंक खोलने शुरू कर दिये, इसके बाद धीरे-धीरे बैकों का उदय होने लगा लेकिन शुरूआत में लोगों को बैकों पर भरोसा नहीं था लेकिल धीरे-धीरे लोग बैकों पर भरोसा करने लगे और आज सारे विश्व में लोग केवल बैकों से ही लेन-देन करना सुरक्षित समझते हैं
भारत में बैंकों का उदय – ( Evolution of Banking in India )
भारत में बैकों का उदय स्वतंत्रता प्रप्ति से पहले हुआ था सबसे पहले भारत अंग्रेजों 1806 में बैंक ऑफ कलकत्ता ( Bank of Calcutta ) के नाम से बैंक खोला था इसके बाद वर्ष 1809 इसे बैंक ऑफ बंगाल ( Bank of Bengal ) के नाम से अधिकार पत्र प्राप्त हुआ था इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य जनता की सेवा करना तथा जरूरत होने पर ईस्ट इंडिया कंपनी ( East India Company ) की आर्थिक सहायता करना था
वर्ष 1823 बैंक ऑफ बंगाल ( Bank of Bengal ) को नोट चलाने की अनुमति प्रदान की गई इसके बाद इस बैंक को वर्ष 1839 में शाखा खोलने की अनुमति प्रदान की गई, 1840 में बैंक ऑफ बम्बई ( Bank of Bombay ) तथा 1843 में बैंक ऑफ मद्रास ( Bank of Madras ) की स्थापना हुई थी वर्ष 1921 में इन तीनों बैंकों को मिलाकर इंपीरियल बैंक ऑफ़ इंडिया (Imperial Bank of India) बना दिया गया फिर इसे वर्ष 1955 में राष्ट्रीयकृत कर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ( State Bank of India ) के रूप में फिर संगठित किया गया था
भारतीय रिज़र्व बैंक ( Reserve Bank of India )
भारत के प्रधान बैंक यानि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ( Reserve Bank of India ) का राष्ट्रीयकरण वर्ष 1935 में हुआ था इस बैंक का कार्य भारत में कार्यरत सभी बैंकों पर नजर रखना है बैंकों के सभी नियम और लेन देन के सभी कानून रिजर्व बैंक द्वारा ही परित किये जाते हैं
इसके बाद भारत में बहुत सारे नये बैंक खुले फिर स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार ने उन बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने का फैसला किया जिनकी जमा राशि 50 करोड या इससे अधिक थी और 19 जुलाई 1969 को 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया, इसके बाद वर्ष 1980 ने 6 और नये बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया, इस प्रकार कुल 20 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया है, जिसने नाम इस प्रकार हैं –
राष्ट्रीयकृत बैंकों की सूची ( List of Nationalized Banks )
- भारतीय स्टेट बैंक ( State Bank of India )
- इलाहाबाद बैंक (Allahabad Bank)
- आंध्रा बैंक ( Andhra Bank )
- बैंक ऑफ बड़ौदा ( Bank of Baroda )
- बैंक ऑफ इंडिया ( Bank of India )
- बैंक ऑफ महाराष्ट्र ( Bank of Maharashtra )
- केनरा बैंक ( Canara Bank )
- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ( Central Bank Of India )
- कार्पोरेशन बैंक ( Corporation Bank )
- देना बैंक ( Dena Bank )
- इंडियन बैंक ( Indian Bank )
- इंडियन ओवरसीज़ बैंक ( Indian Overseas Bank )
- ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स ( Oriental Bank of Commerce )
- पंजाब एंड सिंध बैंक ( Punjab and Sind Bank )
- पंजाब नेशनल बैंक ( Punjab National Bank )
- सिंडीकेट बैंक ( Syndicate Bank )
- यूको बैंक ( UCO Bank )
- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ( Union Bank of India )
- यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया ( United Bank of India )
- विजया बैंक ( Vijaya Bank )
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