आय विधि में आय की गणना करते समय किसी भी दिये गये वर्ष में मजदूरी मतलब की वेतन लगान एवं किराया ब्याज, लाभ, लाभांश एवं रायल्टी के सभी योग को जान लिया जाता है। जिसमें सभी योग आय को सकल राष्ट्रीय आय (GNI) कहते हैं।
सर्वप्रथम भारत में दादा भाई नरौजी ने भारत की राष्ट्रीय आय की गणना 1867-68 में धन के पलायन के सिद्धांत के आधार पर की थी| उस समय उन्होंने भारत की प्रति व्यक्ति आय 20 रु/वर्ष बताई थी|
किसी देश द्वारा एक वर्ष में आर्थिक क्रियाओंं के फलस्वरूप उत्पादित अन्तिम वस्तुओं व सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के योग को उस देश की राष्ट्रीय आय कहते हैं तो आइये जानते हैं राष्ट्रीय आय और उसकी गणना – National Income and his calculation
राष्ट्रीय आय – National Income
इसके अन्तर्गत उन सभी अन्तिम वस्तुओं व सेवाओं के मूल्यों को शमिल करते हैं जो देश के निवासियों द्वारा अर्जित की गई है इसमें देश के निवासियोंं द्वारा विदेशों में भी अर्जित आय को शामिल किया जाता है राष्ट्रीय आय को राष्ट्रीय उत्पाद के नाम से भी जाना जाता है भारत में राष्ट्रीय आय की गणना केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के आधार पर की जाती है
राष्ट्रीय आय की गणना – National income calculation
राष्ट्रीय आय का मापन निम्न आधारों पर किया जाता है –
- राष्ट्रीय आय का मापन मुद्रा के रूप में होता है राष्ट्रीय आय के अन्तर्गत पुरानी वस्तुओं के मूल्य को मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्य में शामिल नहीं किया जाता है
- घरेलू सेवाऐं तथा वित्तीय परिसम्पत्तियों को राष्ट्रीय आय के अन्तर्गत शामिल नहीं किया जाता है
- देश के सामान्य निवासियों द्वारा विदेशों में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं के अन्तिम मूल्य को राष्ट्रीय आय के अन्तर्गत शामिल किया जाता है
- राष्ट्रीय आय की गणना स्थिर मूल्यों एवं वर्तमान मूल्यों दोनों पर ही ज्ञात किया जाता है
- आधार वर्ष में बस्तुओं एवं सेवाओं की जो बाजार कीमत होती है उसी पर ही स्थिर मूल्यों पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है
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आप यहाँ मुद्रा और उनके प्रकार के बारे में भी जान सकते है|